Monday 18 May 2009

एक अनोखी भेंटवार्ता- 2

इतना अविकसित और अनियंत्रित सा धर्म दुनिया में हो सकता है, ऐसा उसने कभी सोचा नहीं था! यह ज़रूर कोई नया ८-१० साल पुराना धर्म होगा- जिसे कोई दिशाहारे लोगों ने मिलकर बनाया होगा!
'कितना पुराना है आपका यह हिंदू धर्म?'
व्यक्ति बोला, 'इसे सनातन धर्म कहते है. यह हमेशा से है. इसे न किसीने बनाया है और न ही कोई मिटा सकता है.'
लड़की झुंझला गई. 'अरे! ऐसा थोड़ी होता है! कोई तो प्रमाण होंगे कि आपका धर्म इस धरती पर कितने पहले से प्रचलित है. जैसे हमारा क्रिस्टियन धर्म २००० वर्ष से प्रचलित है. लोग कितने सालों से हिंदू धर्म को मानते हैं? १०० साल? ५०० साल?!'
व्यक्ति कुछ कहता, इससे पहले उसके आगे वाली सीट पर बैठे एक १२-१३ साल के अमरीकी बच्चे ने, जो उनकी बातें सुन रहा था, लड़की से कहा, 'Hey! For God's sake! आप कौनसी दुनिया में रहती हैं? हिंदू धर्म के बारे में तो सब अमरीकी स्कूलों में पढ़ाया जाता है! यह धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों मैं से एक है. इसके धार्मिक ग्रन्थ वेद हैं जो कम से कम १०,००० साल पुराने हैं! लगता है आपने स्कूल में ध्यान नहीं दिया!'
लड़की के चेहरे पर शिकन आ गयी थी. उसे अपना अतीत याद आ गया. उसका बचपन एक अनाथ आश्रम से दूसरे में धक्के खाते हुए गुज़रा था. उसे कभी कोई ठौर-ठिकाना नहीं मिला था. कई अमरीकी पथभ्रष्ट कुंवारी लड़कियों कि भाँती उसकी माँ ने, समय से पहले किसी लड़के के साथ यौन सम्बन्ध बनाये और गर्भवती हो गई। लड़की के पैदा होते ही उसकी माँ उसे अस्पताल में छोड़कर चली गई. वह अपने माँ-बाप को नहीं जानती थी. स्कूल में उसका मन नहीं लगता था, और वह समय-समय पर बीमार पड़ जाती थी. उसका अपना कोई नहीं था और वह जिंदगी से तंग आकर हार चुकी थी. अंततः उसने आत्महत्या करने की कोशिश की. एक नन ने उसे मरने से बचाया था और धर्म का रास्ता दिखाया था. अब वह यही मानती थी कि केवल जीज़स ही हर इंसान को बचा सकते हैं.
लड़की चुपचाप जहाज़ की खिड़की से बाहर बादलों को देख रही थी. सामने वाले बच्चे की बात ने उसे थोड़ा हिला दिया था. वह बाइबल खोलकर पढ़ने की कोशिश कर रही थी, मगर उसका मन सवालों से भरता जा रहा था. उसे उसके साथ बैठे व्यक्ति की बातें अटपटी सी लग रही थीं.
वह उस व्यक्ति से और सवाल करना चाहती थी, मगर उसे आगेवाले बच्चे का उसकी बात काटना पसंद नहीं आया था. वह सामने वाले बच्चे के सो जाने का इंतज़ार करने लगी.
जलपान दिया गया, और कुछ देर बाद बच्चा कान में आई-पौड के हैड-फोन लगाकर गाने सुनने लगा.
थोड़ी देर बाद लड़की ने व्यक्ति से धीमी आवाज़ में पूछा, 'क्या आप अपने धर्म से खुश हैं?'
'बिलकुल!'
'क्या आपका धर्म आपको 'बचा' लेगा?'
(Will your faith 'Save' you?)
व्यक्ति ने एक लम्बी साँस छोड़ी और गंभीर सोच में पड़ गया. भारत के अधिकतर पड़े लिखे लोग, विभिन्न धर्मों के बारे में कुछ-न-कुछ ज़रूर जानते हैं. व्यक्ति ने क्रिस्टियन धर्म के बारे में पढ़ा था- उस लड़की का 'बचने' से अर्थ कुछ-कुछ हिंदू मान्यता के भक्ति पंथ में 'इश्वर की भक्ति द्वारा मोक्ष प्राप्ति' के समान था जहां भक्त अपने इष्ट देव से मुक्ति की कामना करता है.
वह मुस्कुराते हुए बोला, 'हमारे हिंदू धर्म में 'बचने' के बहुत से तरीके हैं. हम किसी भगवान् की आराधना और भक्ति
द्वारा 'बच' सकते हैं, किसी जीवित गुरु के सान्निध्य में ज्ञान प्राप्त कर के 'बच' सकते हैं, या फिर किसी भगवान् का नाम लेकर 'बच' सकते हैं, या फिर... हजारों तरीकें हैं. हर व्यक्ति, अपनी रूचि अनुसार, अपने मोक्ष के लिए कोई भी पथ चुन सकता है. हिंदू धर्म में केवल एक मुक्ति का साधन नहीं है.'
लड़की का तो दिमाग घूम गया! जो कुछ यह व्यक्ति बोल रहा था, सब उसकी चर्च की शिक्षा से बिलकुल ही अलग था.
जितना भी उसने सीखा और जाना था, उसके अनुसार केवल जीज़स ही 'बचा' सकते हैं!
उसने सोचा कि ऐसे अजीब से धर्म को तो बहुत थोड़े लोग मानते होंगे जो कि कम पढ़े लिखे, पिछड़े और ग़रीब, या आदिवासी होंगे. लेकिन उसके पास बैठा पुरुष तो पढ़ा-लिखा लग रहा था, हवाई जहाज़ से सफ़र कर रहा था, और उससे अंग्रेजी में बातें कर रहा था.
लड़की से रहा नहीं गया, और उसने हिंदू व्यक्ति से यह पूछ ही लिया. 'आपके इस 'हिंदू' धर्म को मानने वाले तो कुछ ही लोग होंगे, है ना?'
व्यक्ति मुस्कुराया, 'नहीं ऐसा नहीं है. हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या बहुत बड़ी है- दुनिया का हर छठा व्यक्ति हिंदू धर्म को मानता है!'
लड़की आश्चर्यचकित होकर उसे देखने लगी.
(क्रमशः)