कुछ साल पहले की बात है, एक अधेड़ उम्र का हिंदु पुरुष अपने बच्चों से मिलने भारत से अमरीका गया था। वह हवाई जहाज़ से किसी एक शहर से दूसरे शहर जा रहा था।
उसके दाहिनी तरफ़, खिड़की के पास की सीट पर एक १७-१८ साल की लड़की बैठी हुई थी। उसके हाथ में खुली बाईबल थी जो वह बहुत ध्यान से पढ़ रही थी। उसे देख कर व्यक्ति काफ़ी आश्चर्यचकित हुआ। मगर वह कुछ बोला नहीं। रह रह कर वह लड़की को और बाईबल को देख रहा था। ७ घंटों का लंबा सफर था, और यह सिलसिला कुछ देर तक चलता रहा।
लड़की को यह महसूस हुआ कि व्यक्ति उससे बात करने को उत्सुक है। उसने कुछ समय बाद, अपना अध्ययन पूरा होने पर व्यक्ति की ओर देखकर मुस्कुराया। दोनों ने एक दूसरे का परिचय पूछा और बातें करने लगे। व्यक्ति ने बताया की वह भारत से है। उसने लड़की से उसके इतनी कम उम्र में इतना धार्मिक होने का कारण पूछा। लड़की ने कहा कि बाईबल पढ़कर उसे बहुत चैन मिलता है। वह पहले अक्सर तनावग्रस्त रहती थी, और उसने आत्महत्या करने कि कोशिश की थी- मगर जीज़स ने उसे बचा लिया। तब से उसने चर्च जाना शुरू कर दिया और बाईबल पढ़ने लगी। अब वह रोज़ाना ३ घंटे बाईबल का अध्ययन करती थी। वह नन बनना चाहती थी।
भारतीय व्यक्ति उसकी बातें ध्यान से सुन रहा था। अचानक, लड़की ने उससे पूछा, 'आप किसको मानते हैं?'
व्यक्ति को पहले तो समझ नहीं आया कि वह क्या जानना चाहती है।
'मेरा मतलब है, आपका धर्म क्या है? क्या आप क्रिस्टियन हैं, या मुस्लिम?!'
व्यक्ति थोड़ा सकपका गया, फिर बोला, 'न मैं क्रिस्टियन हूँ न मुस्लिम!'
'फिर आप क्या हैं?'
'मैं हिंदू हूँ।'
वह लड़की उस व्यक्ति को ऐसे घूरने लगी जैसे कि वह कोई अजूबा हो, या चिड़ियाघर में बंद कोई नायाब जानवर! उसे यह बात बिल्कुल समझ में नहीं आ रही थी!
यूरोप और अमरीका के अधिकतर लोग केवल इस्लाम और ईसाई धर्म के बारे में जानते हैं- क्योंकि उनकी दुनिया में यही दो धर्म प्रचलित हैं।
'वह बोली, 'यह हिंदू क्या होता है?'
व्यक्ति बोला, 'चूंकि मैं हिंदू माँ बाप के घर पैदा हुआ, तो मैं जन्म से हिंदू हूँ।'
वह बोली, 'आपका मसीहा कौन है?'
व्यक्ति बोला, 'हमारा कोई मसीहा नहीं है।'
लड़की कि आँखें कुछ फैल सी गयीं।
'क्या?! और आपका धर्म ग्रन्थ कौनसा है?'
व्यक्ति बोला, 'हमारा कोई एक धर्मं ग्रन्थ नहीं है। हिंदू धर्म के सैकड़ों, हजारों दार्शनिक और धार्मिक ग्रन्थ हैं!'
लड़की का चेहरा अब देखने लायक था!
'कम से कम इतना तो बता दीजिये कि आपका भगवान कौन है!'
'क्या मतलब है आपका?' व्यक्ति बोला।
'जैसे हम ईसाईयों के गौड ( GOD) हैं और मुसलामानों के अल्लाह है, क्या आपका कोई भगवान नहीं है?'
व्यक्ति चुप हो गया और सोचने लगा. ईसाईयों और मुसलामानों का विश्वास एक (पुरूष) ईश्वर में है. इस ईश्वर ने दुनिया को बनाया है और इसमे बसने वाले इंसानों के जीवन पर उसका पूरा नियंत्रण होता है। इस लड़की के मन में यही विश्वास गहराई से आसन जमाए बैठा हुआ था।
लड़की के (या फिर ऐसे किसी भी यूरोपी अथवा अमरीकी व्यक्ति के, जिसको हिंदू विचारों के बारे में ठीक से पता नहीं हो) दृष्टिकोण से, किसी भी धर्म में ३ चीज़ें अनिवार्य होती हैं- एक सर्वमाननीय मसीहा, एक सर्वमाननीय धार्मिक ग्रन्थ और एक सर्वमाननीय ईश्वर।
बचपन से पाश्चात्य जगत के लोगों में इस बात को इतना गहरा उतार दिया जाता है, कि और कोई भी धार्मिक विचार या दृष्टिकोण उनका मन बिल्कुल स्वीकार नहीं करता।
व्यक्ति उस लड़की की दुविधा भलीभांति समझ रहा था। उसके विश्वास के दायरे में हिन्दु विचारधारा एक अजूबा थी। किसी और देशकाल की बात थी। आदिमानवों की विकृत संस्कृति का अवशेष था।
हिन्दु धर्मं की, उन धर्मों के साथ तुलना ही नहीं की जा सकती, जहाँ एक ईश्वर, एक धर्म ग्रन्थ, और एक मसीहा पूजे जाते हैं।
अंततः व्यक्ति बोला, 'अगर आप एक ईश्वर में विश्वास करते हैं तो भी आप हिन्दु हो सकते हैं, अगर आप कई ईश्वरों में विश्वास करते हैं तो भी आप हिन्दु हो सकते हैं और, अगर आप कोई ईश्वर में विश्वास नहीं करते, तो भी आप हिन्दु हो सकते हैं! एक नास्तिक भी हिन्दु हो सकता है!'
लड़की कों तो अब यह सब कुछ बिल्कुल पागलपन सा लग रहा था!
(क्रमशः)
उसके दाहिनी तरफ़, खिड़की के पास की सीट पर एक १७-१८ साल की लड़की बैठी हुई थी। उसके हाथ में खुली बाईबल थी जो वह बहुत ध्यान से पढ़ रही थी। उसे देख कर व्यक्ति काफ़ी आश्चर्यचकित हुआ। मगर वह कुछ बोला नहीं। रह रह कर वह लड़की को और बाईबल को देख रहा था। ७ घंटों का लंबा सफर था, और यह सिलसिला कुछ देर तक चलता रहा।
लड़की को यह महसूस हुआ कि व्यक्ति उससे बात करने को उत्सुक है। उसने कुछ समय बाद, अपना अध्ययन पूरा होने पर व्यक्ति की ओर देखकर मुस्कुराया। दोनों ने एक दूसरे का परिचय पूछा और बातें करने लगे। व्यक्ति ने बताया की वह भारत से है। उसने लड़की से उसके इतनी कम उम्र में इतना धार्मिक होने का कारण पूछा। लड़की ने कहा कि बाईबल पढ़कर उसे बहुत चैन मिलता है। वह पहले अक्सर तनावग्रस्त रहती थी, और उसने आत्महत्या करने कि कोशिश की थी- मगर जीज़स ने उसे बचा लिया। तब से उसने चर्च जाना शुरू कर दिया और बाईबल पढ़ने लगी। अब वह रोज़ाना ३ घंटे बाईबल का अध्ययन करती थी। वह नन बनना चाहती थी।
भारतीय व्यक्ति उसकी बातें ध्यान से सुन रहा था। अचानक, लड़की ने उससे पूछा, 'आप किसको मानते हैं?'
व्यक्ति को पहले तो समझ नहीं आया कि वह क्या जानना चाहती है।
'मेरा मतलब है, आपका धर्म क्या है? क्या आप क्रिस्टियन हैं, या मुस्लिम?!'
व्यक्ति थोड़ा सकपका गया, फिर बोला, 'न मैं क्रिस्टियन हूँ न मुस्लिम!'
'फिर आप क्या हैं?'
'मैं हिंदू हूँ।'
वह लड़की उस व्यक्ति को ऐसे घूरने लगी जैसे कि वह कोई अजूबा हो, या चिड़ियाघर में बंद कोई नायाब जानवर! उसे यह बात बिल्कुल समझ में नहीं आ रही थी!
यूरोप और अमरीका के अधिकतर लोग केवल इस्लाम और ईसाई धर्म के बारे में जानते हैं- क्योंकि उनकी दुनिया में यही दो धर्म प्रचलित हैं।
'वह बोली, 'यह हिंदू क्या होता है?'
व्यक्ति बोला, 'चूंकि मैं हिंदू माँ बाप के घर पैदा हुआ, तो मैं जन्म से हिंदू हूँ।'
वह बोली, 'आपका मसीहा कौन है?'
व्यक्ति बोला, 'हमारा कोई मसीहा नहीं है।'
लड़की कि आँखें कुछ फैल सी गयीं।
'क्या?! और आपका धर्म ग्रन्थ कौनसा है?'
व्यक्ति बोला, 'हमारा कोई एक धर्मं ग्रन्थ नहीं है। हिंदू धर्म के सैकड़ों, हजारों दार्शनिक और धार्मिक ग्रन्थ हैं!'
लड़की का चेहरा अब देखने लायक था!
'कम से कम इतना तो बता दीजिये कि आपका भगवान कौन है!'
'क्या मतलब है आपका?' व्यक्ति बोला।
'जैसे हम ईसाईयों के गौड ( GOD) हैं और मुसलामानों के अल्लाह है, क्या आपका कोई भगवान नहीं है?'
व्यक्ति चुप हो गया और सोचने लगा. ईसाईयों और मुसलामानों का विश्वास एक (पुरूष) ईश्वर में है. इस ईश्वर ने दुनिया को बनाया है और इसमे बसने वाले इंसानों के जीवन पर उसका पूरा नियंत्रण होता है। इस लड़की के मन में यही विश्वास गहराई से आसन जमाए बैठा हुआ था।
लड़की के (या फिर ऐसे किसी भी यूरोपी अथवा अमरीकी व्यक्ति के, जिसको हिंदू विचारों के बारे में ठीक से पता नहीं हो) दृष्टिकोण से, किसी भी धर्म में ३ चीज़ें अनिवार्य होती हैं- एक सर्वमाननीय मसीहा, एक सर्वमाननीय धार्मिक ग्रन्थ और एक सर्वमाननीय ईश्वर।
बचपन से पाश्चात्य जगत के लोगों में इस बात को इतना गहरा उतार दिया जाता है, कि और कोई भी धार्मिक विचार या दृष्टिकोण उनका मन बिल्कुल स्वीकार नहीं करता।
व्यक्ति उस लड़की की दुविधा भलीभांति समझ रहा था। उसके विश्वास के दायरे में हिन्दु विचारधारा एक अजूबा थी। किसी और देशकाल की बात थी। आदिमानवों की विकृत संस्कृति का अवशेष था।
हिन्दु धर्मं की, उन धर्मों के साथ तुलना ही नहीं की जा सकती, जहाँ एक ईश्वर, एक धर्म ग्रन्थ, और एक मसीहा पूजे जाते हैं।
अंततः व्यक्ति बोला, 'अगर आप एक ईश्वर में विश्वास करते हैं तो भी आप हिन्दु हो सकते हैं, अगर आप कई ईश्वरों में विश्वास करते हैं तो भी आप हिन्दु हो सकते हैं और, अगर आप कोई ईश्वर में विश्वास नहीं करते, तो भी आप हिन्दु हो सकते हैं! एक नास्तिक भी हिन्दु हो सकता है!'
लड़की कों तो अब यह सब कुछ बिल्कुल पागलपन सा लग रहा था!
(क्रमशः)
7 comments:
bhai vah, kamaal hai
dil jeet liya aapne
BADHAI
हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है....
जी बिलकुल सही कहा आपने जो कथा आपने कही वो अक्षरश सत्य है...हिंदु धर्म कोई धर्म नहीं है ये एक जीवनशैली है..जो आदि काल से चली आ रही है...जिस वक्त जीवन की शुरुआत हुई थी उस वक्त भी सिर्फ एक धर्म था हिंदु धर्म...क्योंकि मै कह रहा हूं कि हिंदु धर्म एक धर्म नहीं एक जीवन शैली है
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
बहुत सुंदर.हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मेरे ब्लोग पर भी आने की जहमत करें।
well done.......
वास्तव में हिन्दु धर्म एक धर्म न होकर एक जीवन पद्धति, एक चिन्तन का नाम है. जिसे शब्दों में अभिव्यकत करना नितांत असंभव कार्य है.
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