Monday, 20 July 2009

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Wednesday, 20 May 2009

एक अनोखी भेंटवार्ता- ४

एक अनोखी भेंटवार्ता- ४

सफ़र के करीब दो घंटे बीत चुके थे और व्यक्ति को लगा कि यह वार्ता लम्बी चलेगी. वह मन ही मन मुस्कुरा रहा था. उसे यह समझ आ गया था कि लड़की की पूछताछ और जिज्ञासा उसके धर्म को हिंदू धर्म से ऊंचा साबित करने के लिए नहीं थी. लड़की में ख़ुद को जानने कि प्रबल इच्छा मालूम हो रही थी.
व्यक्ति जानता था कि धर्म और दुनियादारी की बातें बेकार के तर्कों को बढ़ावा देती हैं और किसी के कोई काम की नहीं होतीं. लड़की का प्रश्न ऐसा था जिसका जवाब इस वार्तालाप को एक नयी दिशा दे सकता था- जो बातचीत को धार्मिक बातों से परे, आध्यात्मिक बातों की ओर ले जा सकता था और लड़की को अपनेआप को जानने में मदद कर सकता था.
वह बोला, 'कर्म का सीधा सीधा मतलब होता है कोई भी कार्य (Action). जब हम कुछ भी काम करते हैं तो उसका असर (Effect) होता है. इसे हम कर्म और कर्मफल (Karma/Cause/Action and Fruit of Karma/Effect/Reaction) कह सकते हैं. यह कोई धार्मिक बात नहीं है बल्कि सरल सत्य है जो हमें रोज़ अपनी ज़िन्दगी में दिखता है.
मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ. किसी बागीचे में हम बीज बोते हैं, उन्हें पानी से सींचते हैं, तो पौधे उगते हैं. मगर हर बीज से वही पौधा उगेगा जिसका बीज बोया गया हो. अगर आपने आम का पेड़ लगाया है तो उसमे संतरे तो नहीं उगेंगे, है कि नहीं?!'
'जी बिलकुल' लड़की बोली.
व्यक्ति आगे बोला, 'ठीक इसी प्रकार हमारे हर कर्मों (Actions) को बीज माना जा सकता है, और उनके असर (Effects) को कर्मफल (Fruits of Karma) माना जा सकता है.'
लड़की व्यक्ति की बात ध्यान से सुन रही थी.
व्यक्ति ने आगे कहा, 'मगर इसका एक और पहलू है. जैसे अलग अलग पौधों के बीज अगर एक समय पर भी बोए जाएँ, और पानी से सींचें जाएँ, फिर भी सब अपने अपने समय से ही बड़े होते हैं और अलग अलग समय पर फलते फूलते हैं; उसी प्रकार हमारे कर्म भी अलग अलग समय पर फलते हैं.'
'वो कैसे?'
'कर्मफल तीन प्रकार के होते हैं- पहले, ऐसे कर्म जिनका असर एकदम होता है- जैसे अगर आप अपना हाथ आग में डालोगे तो एकदम गर्मी लगेगी और जल जाएगा. दूसरे, वैसे कर्म जिनका असर कुछ समय के बाद होता है, जैसे अगर आपने थोड़ा बासी खाना खा लिया हो तो कुछ समय बाद पेट में दर्द होगा. और तीसरे, वह कर्म जिनका असर बहुत समय के बाद होता है- जैसे किसी इंसान ने किसी एच आई वी+ (HIV+) व्यक्ति के साथ यौन सम्बंध बनाए और बहुत साल बाद एड्स (AIDS) का शिकार हो गया.
हमारे जीवन में बहुत सी परिस्थितियाँ आती हैं जिन्हें हम समझ नहीं पाते, और भगवान को या परिस्थितियों को दोष देते हैं. लेकिन अगर हम Karma Theory कोसमझ लें तो अधिकतर प्रश्नों का बड़ी आसानी से निवारण हो जाता है.'
लड़की सोच में पड़ गयी थी. वह व्यक्ति की बातों से प्रभावित हो रही थी. वह इन बातों के द्वारा अपने जीवन की घटनाओं को समझने की कोशिश कर रही थी.
'मगर क्या आपकी Karma Theory मुझे यह बता सकती है कि कोई अमीर और कोई ग़रीब, कोई स्वस्थ और कोई बीमार क्यों पैदा होते हैं? किसी बच्चे को माँ-बाप का गहरा प्रेम और किसीको अपने माँ-बाप का प्यार क्यों नहीं मिलता?' बोलते बोलते, लड़की की आँखें भर आईं और उसकी आवाज़ कांपने लगी.
व्यक्ति समझ गया कि उसने लड़की की दुखती रग पर हाथ रख दिया था. कुछ देर तक उसने कुछ नहीं कहा. फिर वह धीरे से बोला, 'हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि हम केवल एक ही शरीर में जीवन को पूरी तरह नहीं समझ सकते, इसलिए, हमें कई बार जन्म लेना पड़ता है. आत्मा शरीर बदलती रहती है और अमर है. वही कर्म और कर्मफल भोगती है. कुछ कर्मों का भोग हमें अपने अगले जन्मों में करना पड़ेगा- और कुछ ऐसे कर्म जो हमने पिछले जन्मों में किये होंगे, उनका भोग हमें इस जन्म में करना पड़ रहा है.
अगर आपके जीवन में कोई ऐसी शारीरिक या मानसिक पीड़ा आई हो, जिसका कोई कारण आप नहीं समझ पा रहीं हैं, तो हिंदू धर्म के अनुसार, वह किसी पिछले जन्म के कर्म का फल है. लेकिन साथ ही साथ यह भी जानना उचित है कि पीड़ादायक कर्म फल किसी पाप (Sin) के कारण नहीं हैं और भगवान किसी को दंड (punishment) नहीं दे रहे.
हिंदू मान्यता के अनुसार, स्वर्ग-नर्क (Heaven and Hell) भोग केवल अपने कर्म के अच्छे और बुरे फल ही हैं, और कुछ भी नहीं.'
लड़की ने कुछ सोच कर कहा, 'इसका मतलब आप हिंदू तो भगवन में कोई विश्वास ही नहीं करते! जब सब कुछ अपने ही हाथ में है- तो भगवान कि ज़रुरत ही नहीं जान पड़ती है!'
व्यक्ति बोला, 'ऐसा नहीं है, भगवान तो श्रद्धा की बात है. इसीलिए हिंदू धर्म में इश्वर को सगुण साकार 'एवं' निर्गुण निराकार दोनों ही कहा गया है.'
'तो आपका कहना है की मेरे जीवन में जो कुछ हुआ है और हो रहा है, उसका कारण मेरे ही कर्म हैं? और ईश्वर का उसमे कोई हाथ नहीं? इसका मतलब तो यह हुआ की ईश्वर से अपने पापों के लिए माफी मांगने से (Asking for forgiveness for one's sins) आपके पाप कभी नहीं धुलेंगे!
हमारा धर्म तो कहता है की जीज़स हमारे पापों के लिए सूली चढ़े थे. और अगर हम कोई भी गलत काम करते हैं, और हमें उसके लिए पश्चात्ताप होता है, तो हम उनसे माफ़ी मांग कर मुक्त हो सकते हैं. इसका मतलब तो यही हुआ कि आपके हिंदू धर्म में मुक्त होने का कोई रास्ता ही नहीं है!'
व्यक्ति मुस्कुराकर सर हिलाने लगा और कुछ देर के लिए चुप हो गया. यही बात उसने कितने ही पाश्चात्य धर्म के अनुयायियों के मुख से सुनी थी. इसी बात को लेकर वे सब हिंदू धर्म का विरोध करते हैं.
'हिंदू धर्म में इश्वर मनुष्य कि पूरी पूरी देखभाल करते हैं। मनुष्य अगर अपने पापों का प्रायश्चित्त करे तो भगवान उस पर मेहर (Grace) बरसा देते हैं.
मगर, जैसे अगर कोई बच्चे ने अगर गलती कि हो और माफ़ी मांग ले, तो उसकी गलती कम नहीं हो जाती. उसे गलती का एहसास होने के लिए दंड भोगना ज़रूरी होता है. उसी प्रकार, हमें अपने कर्मों के फल भोगने ही पड़ते हैं. बारिश में कोई भीग रहा हो, और भगवान से बचाव कि प्रार्थना करे, तो भगवान उसे मेहर और ज्ञान की छतरी दे देंगे, मगर बरसात को रोकेंगे नहीं!
वैसे ही कर्म फल की 'बरसात' से बचने के लिए, ज्ञान और साधना कि 'छतरी' का सहारा लेना चाहिए. माफ़ी मांगने (Praying for Forgiveness) से अंहकार (Ego) और ग्लानि (Guilt) कम होती है.
लड़की बोली, 'मगर आप एक ही ईश्वर पर क्यों विश्वास नहीं करते?
(क्रमशः)

Tuesday, 19 May 2009

एक अनोखी भेंटवार्ता- ३


व्यक्ति आगे बोला, 'भारत में हिंदू धर्म पर हज़ारों साल से विदेशी साम्राज्यों के आक्रमण होते रहे हैं. कितने ही धर्म और धार्मिक प्रथाओं को हिंदुओं ने अपने सनातन धर्म के विशाल आँचल में समेट लिया. हिंदू धर्म तो जीवन जीने की शैली है, और आपको इसमें हर एक धर्म से मिलतीजुलती धार्मिक शिक्षाएं मिलेंगी.'
लड़की बोली, 'मुझे यह सब समझ तो नहीं आ रहा है, मगर यह हिन्दू धर्म बड़ा दिलचस्प लगता है।'
फिर कुछ सोच कर वह अचानक बोली, 'क्या आप धार्मिक हैं?'
'हम्म... यह कहना थोड़ा मुश्किल है। अगर आपके Christian धर्म के अनुरूप कहूं, तो हो सकता है मैं धार्मिक नहीं हूँ क्योंकि मैं कभी कभी मंदिर चला जाता हूँ, और इच्छानुसार पूजा पाठ करता हूँ- अथवा नहीं।'
लड़की बोली, 'हमारे रोमन कैथलिक (Roman Catholic) धर्म में हर रविवार चर्च जाकर, पादरी से बाईबल के कुछ उपदेश सुनना और कम्युनिअन (communion) ग्रहण करना अच्छा मानते हैं।'
व्यक्ति बोला, 'हम हिंदू चाहें तो मंदिर जाकर प्रार्थना कर सकते हैं। लेकिन अगर कोई हिंदू ज़िन्दगी में कभी भी मंदिर नहीं जाए, तो भी वे धार्मिक हो सकता हैं।'
लड़की को यह बात बड़ी अजीब लगी। उसके धर्म में तो हर चीज़ अक्षरशः विधित थी। उसको रह रह कर नन और पादरी की बातें याद आ रही थीं।
'अच्छा यह बताईये कि क्या आपके धर्म में हिंदू बनने की
कोई प्रथा (Initiation Ritual to be formally ordained as a Hindu) है? जैसे हमारे क्रिश्चियन कैथलिक धर्म में बैप्टिज़म (Baptism) द्वारा हम अपने धर्म में शामिल किए जाते हैं.
व्यक्ति बोला, 'हिंदू धर्म में ऐसी कोई Initiation प्रथा नहीं है। ऐसी कोई भी रीती नहीं है जिसको पूर्ण करने पर कोई ऐसी घोषणा करे कि 'चलो! आज से तुम हिंदू धर्म के अनुयायी हुए!' हिंदू धर्म तो जीवन जीने की एक शैली है। कोई भी, किसी भी समय हिंदू धर्म अपना सकता है। इसके लिए उसे किसी कि आज्ञा या फिर कोई भी प्रथाओं से गुज़रने की कोई ज़रूरत नही!'
वह इसलिए क्योंकि हर व्यक्ति जन्म से हिंदू होता है। हाँ, व्यक्ति के अच्छे जीवन निर्वाह के लिए ऋषियों ने व्यक्ति के जीवन में कुछ संस्कार निर्धारित किए थे। जैसे कि मुंडन, कान छेदना, जनेऊ संस्कार, विवाह के रीति-रिवाज़ आदि। मगर इन्हे आजकल के हिंदू बहुत कम मानते हैं। लेकिन, उनको कोई माने या न माने, इससे उनके हिंदू होने पर कोई असर नहीं पड़ता है।
लड़की को यह बात भी बड़ी अजीब लग रही थी। भला कोई व्यक्ति बिना रीति रिवाज़ों के किसी धर्म में कैसे शामिल किया जा सकता है। जितना वह जानती थी, ऐसे व्यक्ति तो नास्तिक (Heathen) कहलाते हैं!
'क्या आपने कभी कोई और धर्म अपनाने के बारे में सोचा है?'
'क्यों भला?!' व्यक्ति हंसकर बोला। 'हिंदूओं को अपने धर्म के हर पहलू का विरोध करते हुए, उसे जैसा चाहें वैसे बदल कर, अपने अनुरूप धर्म को मानने की पूरी पूरी छूट है। कोई भी सच्चा हिंदू धर्म परिवर्तन में विश्वास नहीं करता। हर हिंदू को धर्म और प्रथाओं को मानने अथवा प्रश्न करने कि पूरी छूट है। मैं इच्छा से हिंदू हूँ, कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती से नहीं।'
'हर हिंदू अपने विश्वास को पूजा, सेवा या साधना, या फिर तीनों करके गहरा कर सकता हैं। सबसे बड़ी बात यहाँ रूचि की है। जिस व्यक्ति को जो भी पसंद हो वह उसी प्रकार से अपना धर्म जी सकता है। जब मैं छोटा था तब मुझे पूजा-पाठ में रूचि थी, मगर अब मैं अपने भगवान के प्रेम में इतना डूब गया हूँ कि, कर्म-काण्ड (Ritualistic worship) से बहुत दूर हो गया हूँ। अब मैं...'
'एक मिनट!' लड़की ने उसकी बात काटते हुए कहा, 'क्या आप अपने भगवान से डरते नहीं हो?!'
'भगवान तो मित्र होते हैं!' व्यक्ति बोला। 'भगवान तो हमारे सबसे आत्मीय प्रेमी और घनिष्ठ दोस्त होते हैं। माता, पिता या फिर किसी भी सांसारिक दोस्त से हज़ारों गुना अधिक प्रिय!'
'नहीं। मैं अपने भगवान से बिलकुल नहीं डरता। हिंदू धर्म में ऐसी कहीं कोई बात नहीं है।'
'हाँ। बुरे कर्म करने पर बुरे फल मिलते हैं और अच्छे कर्मों का नतीजा अच्छा ही होता है। उसमे भगवान का कोई भी हाथ नहीं है। जैसा करोगे वैसा भोगोगे- यह हिंदू धर्म की मान्यता है। इसे पाश्चात्य जगत के लोग 'Karma Theory' कहते हैं'।
लड़की अपनी सीट पर थोड़ा ठिठककर बैठ गयी। उसकी उत्सुकता साफ़ दिखाई दे रही थी।
'यह Karma शब्द तो मैंने सुना है! मगर इसके बारे में मुझे कुछ पता नहीं है। क्या है यह 'Karma Theory'?'
(क्रमशः)

Monday, 18 May 2009

एक अनोखी भेंटवार्ता- 2

इतना अविकसित और अनियंत्रित सा धर्म दुनिया में हो सकता है, ऐसा उसने कभी सोचा नहीं था! यह ज़रूर कोई नया ८-१० साल पुराना धर्म होगा- जिसे कोई दिशाहारे लोगों ने मिलकर बनाया होगा!
'कितना पुराना है आपका यह हिंदू धर्म?'
व्यक्ति बोला, 'इसे सनातन धर्म कहते है. यह हमेशा से है. इसे न किसीने बनाया है और न ही कोई मिटा सकता है.'
लड़की झुंझला गई. 'अरे! ऐसा थोड़ी होता है! कोई तो प्रमाण होंगे कि आपका धर्म इस धरती पर कितने पहले से प्रचलित है. जैसे हमारा क्रिस्टियन धर्म २००० वर्ष से प्रचलित है. लोग कितने सालों से हिंदू धर्म को मानते हैं? १०० साल? ५०० साल?!'
व्यक्ति कुछ कहता, इससे पहले उसके आगे वाली सीट पर बैठे एक १२-१३ साल के अमरीकी बच्चे ने, जो उनकी बातें सुन रहा था, लड़की से कहा, 'Hey! For God's sake! आप कौनसी दुनिया में रहती हैं? हिंदू धर्म के बारे में तो सब अमरीकी स्कूलों में पढ़ाया जाता है! यह धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों मैं से एक है. इसके धार्मिक ग्रन्थ वेद हैं जो कम से कम १०,००० साल पुराने हैं! लगता है आपने स्कूल में ध्यान नहीं दिया!'
लड़की के चेहरे पर शिकन आ गयी थी. उसे अपना अतीत याद आ गया. उसका बचपन एक अनाथ आश्रम से दूसरे में धक्के खाते हुए गुज़रा था. उसे कभी कोई ठौर-ठिकाना नहीं मिला था. कई अमरीकी पथभ्रष्ट कुंवारी लड़कियों कि भाँती उसकी माँ ने, समय से पहले किसी लड़के के साथ यौन सम्बन्ध बनाये और गर्भवती हो गई। लड़की के पैदा होते ही उसकी माँ उसे अस्पताल में छोड़कर चली गई. वह अपने माँ-बाप को नहीं जानती थी. स्कूल में उसका मन नहीं लगता था, और वह समय-समय पर बीमार पड़ जाती थी. उसका अपना कोई नहीं था और वह जिंदगी से तंग आकर हार चुकी थी. अंततः उसने आत्महत्या करने की कोशिश की. एक नन ने उसे मरने से बचाया था और धर्म का रास्ता दिखाया था. अब वह यही मानती थी कि केवल जीज़स ही हर इंसान को बचा सकते हैं.
लड़की चुपचाप जहाज़ की खिड़की से बाहर बादलों को देख रही थी. सामने वाले बच्चे की बात ने उसे थोड़ा हिला दिया था. वह बाइबल खोलकर पढ़ने की कोशिश कर रही थी, मगर उसका मन सवालों से भरता जा रहा था. उसे उसके साथ बैठे व्यक्ति की बातें अटपटी सी लग रही थीं.
वह उस व्यक्ति से और सवाल करना चाहती थी, मगर उसे आगेवाले बच्चे का उसकी बात काटना पसंद नहीं आया था. वह सामने वाले बच्चे के सो जाने का इंतज़ार करने लगी.
जलपान दिया गया, और कुछ देर बाद बच्चा कान में आई-पौड के हैड-फोन लगाकर गाने सुनने लगा.
थोड़ी देर बाद लड़की ने व्यक्ति से धीमी आवाज़ में पूछा, 'क्या आप अपने धर्म से खुश हैं?'
'बिलकुल!'
'क्या आपका धर्म आपको 'बचा' लेगा?'
(Will your faith 'Save' you?)
व्यक्ति ने एक लम्बी साँस छोड़ी और गंभीर सोच में पड़ गया. भारत के अधिकतर पड़े लिखे लोग, विभिन्न धर्मों के बारे में कुछ-न-कुछ ज़रूर जानते हैं. व्यक्ति ने क्रिस्टियन धर्म के बारे में पढ़ा था- उस लड़की का 'बचने' से अर्थ कुछ-कुछ हिंदू मान्यता के भक्ति पंथ में 'इश्वर की भक्ति द्वारा मोक्ष प्राप्ति' के समान था जहां भक्त अपने इष्ट देव से मुक्ति की कामना करता है.
वह मुस्कुराते हुए बोला, 'हमारे हिंदू धर्म में 'बचने' के बहुत से तरीके हैं. हम किसी भगवान् की आराधना और भक्ति
द्वारा 'बच' सकते हैं, किसी जीवित गुरु के सान्निध्य में ज्ञान प्राप्त कर के 'बच' सकते हैं, या फिर किसी भगवान् का नाम लेकर 'बच' सकते हैं, या फिर... हजारों तरीकें हैं. हर व्यक्ति, अपनी रूचि अनुसार, अपने मोक्ष के लिए कोई भी पथ चुन सकता है. हिंदू धर्म में केवल एक मुक्ति का साधन नहीं है.'
लड़की का तो दिमाग घूम गया! जो कुछ यह व्यक्ति बोल रहा था, सब उसकी चर्च की शिक्षा से बिलकुल ही अलग था.
जितना भी उसने सीखा और जाना था, उसके अनुसार केवल जीज़स ही 'बचा' सकते हैं!
उसने सोचा कि ऐसे अजीब से धर्म को तो बहुत थोड़े लोग मानते होंगे जो कि कम पढ़े लिखे, पिछड़े और ग़रीब, या आदिवासी होंगे. लेकिन उसके पास बैठा पुरुष तो पढ़ा-लिखा लग रहा था, हवाई जहाज़ से सफ़र कर रहा था, और उससे अंग्रेजी में बातें कर रहा था.
लड़की से रहा नहीं गया, और उसने हिंदू व्यक्ति से यह पूछ ही लिया. 'आपके इस 'हिंदू' धर्म को मानने वाले तो कुछ ही लोग होंगे, है ना?'
व्यक्ति मुस्कुराया, 'नहीं ऐसा नहीं है. हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या बहुत बड़ी है- दुनिया का हर छठा व्यक्ति हिंदू धर्म को मानता है!'
लड़की आश्चर्यचकित होकर उसे देखने लगी.
(क्रमशः)

Saturday, 16 May 2009

एक अनोखी भेंटवार्ता

एक अनोखी भेंटवार्ता

कुछ साल पहले की बात है, एक अधेड़ उम्र का हिंदु पुरुष अपने बच्चों से मिलने भारत से अमरीका गया था। वह हवाई जहाज़ से किसी एक शहर से दूसरे शहर जा रहा था
उसके दाहिनी तरफ़, खिड़की के पास की सीट पर एक १७-१८ साल की लड़की बैठी हुई थीउसके हाथ में खुली बाईबल थी जो वह बहुत ध्यान से पढ़ रही थीउसे देख कर व्यक्ति काफ़ी आश्चर्यचकित हुआमगर वह कुछ बोला नहींरह रह कर वह लड़की को और बाईबल को देख रहा था घंटों का लंबा सफर था, और यह सिलसिला कुछ देर तक चलता रहा
लड़की को यह महसूस हुआ कि व्यक्ति उससे बात करने को उत्सुक हैउसने कुछ समय बाद, अपना अध्ययन पूरा होने पर व्यक्ति की ओर देखकर मुस्कुरायादोनों ने एक दूसरे का परिचय पूछा और बातें करने लगेव्यक्ति ने बताया की वह भारत से हैउसने लड़की से उसके इतनी कम उम्र में इतना धार्मिक होने का कारण पूछालड़की ने कहा कि बाईबल पढ़कर उसे बहुत चैन मिलता हैवह पहले अक्सर तनावग्रस्त रहती थी, और उसने आत्महत्या करने कि कोशिश की थी- मगर जीज़स ने उसे बचा लियातब से उसने चर्च जाना शुरू कर दिया और बाईबल पढ़ने लगीअब वह रोज़ाना घंटे बाईबल का अध्ययन करती थीवह नन बनना चाहती थी
भारतीय व्यक्ति उसकी बातें ध्यान से सुन रहा थाअचानक, लड़की ने उससे पूछा, 'आप किसको मानते हैं?'
व्यक्ति को पहले तो समझ नहीं आया कि वह क्या जानना चाहती है
'मेरा मतलब है, आपका धर्म क्या है? क्या आप क्रिस्टियन हैं, या मुस्लिम?!'
व्यक्ति थोड़ा सकपका गया, फिर बोला, ' मैं क्रिस्टियन हूँ मुस्लिम!'
'फिर आप क्या हैं?'
'मैं हिंदू हूँ।'
वह लड़की उस व्यक्ति को ऐसे घूरने लगी जैसे कि वह कोई अजूबा हो, या चिड़ियाघर में बंद कोई नायाब जानवर! उसे यह बात बिल्कुल समझ में नहीं रही थी!
यूरोप और अमरीका के अधिकतर लोग केवल इस्लाम और ईसाई धर्म के बारे में जानते हैं- क्योंकि उनकी दुनिया में यही दो धर्म प्रचलित हैं
'वह बोली, 'यह हिंदू क्या होता है?'
व्यक्ति बोला, 'चूंकि मैं हिंदू माँ बाप के घर पैदा हुआ, तो मैं जन्म से हिंदू हूँ।'
वह बोली, 'आपका मसीहा कौन है?'
व्यक्ति बोला, 'हमारा कोई मसीहा नहीं है।'
लड़की कि आँखें कुछ फैल सी गयीं
'क्या?! और आपका धर्म ग्रन्थ कौनसा है?'
व्यक्ति बोला, 'हमारा कोई एक धर्मं ग्रन्थ नहीं हैहिंदू धर्म के सैकड़ों, हजारों दार्शनिक और धार्मिक ग्रन्थ हैं!'
लड़की का चेहरा अब देखने लायक था!
'कम से कम इतना तो बता दीजिये कि आपका भगवान कौन है!'
'क्या मतलब है आपका?' व्यक्ति बोला
'जैसे हम ईसाईयों के गौड ( GOD) हैं और मुसलामानों के अल्लाह है, क्या आपका कोई भगवान नहीं है?'
व्यक्ति चुप हो गया और सोचने लगा. ईसाईयों और मुसलामानों का विश्वास एक (पुरूष) ईश्वर में है. इस ईश्वर ने दुनिया को बनाया है और इसमे बसने वाले इंसानों के जीवन पर उसका पूरा नियंत्रण होता हैइस लड़की के मन में यही विश्वास गहरा से आसन जमाए बैठा हुआ था
लड़की के (या फिर ऐसे किसी भी यूरोपी अथवा अमरीकी व्यक्ति के, जिसको हिंदू विचारों के बारे में ठीक से पता नहीं हो) दृष्टिकोण से, किसी भी धर्म में चीज़ें अनिवार्य होती हैं- एक सर्वमाननीय मसीहा, एक सर्वमाननीय धार्मिक ग्रन्थ और एक सर्वमाननीय ईश्वर
बचपन से पाश्चात्य जगत के लोगों में इस बात को इतना गहरा उतार दिया जाता है, कि और कोई भी धार्मिक विचार या दृष्टिकोण उनका मन बिल्कुल स्वीकार नहीं करता
व्यक्ति उस लड़की की दुविधा भलीभांति समझ रहा थाउसके विश्वास के दायरे में हिन्दु विचारधारा एक अजूबा थीकिसी और देशकाल की बात थीआदिमानवों की विकृत संस्कृति का अवशेष था
हिन्दु धर्मं की, उन धर्मों के साथ तुलना ही नहीं की जा सकती, जहाँ एक ईश्वर, एक धर्म ग्रन्थ, और एक मसीहा पूजे जाते हैं
अंततः व्यक्ति बोला, 'अगर आप एक ईश्वर में विश्वास करते हैं तो भी आप हिन्दु हो सकते हैं, अगर आप कई ईश्वरों में विश्वास करते हैं तो भी आप हिन्दु हो सकते हैं और, अगर आप कोई ईश्वर में विश्वास नहीं करते, तो भी आप हिन्दु हो सकते हैं! एक नास्तिक भी हिन्दु हो सकता है!'
लड़की कों तो अब यह सब कुछ बिल्कुल पागलपन सा लग रहा था!
(क्रमशः)