असंगोऽहम्
चेतना के चैतन्य चिंतन...
Monday, 8 October 2007
Shiv
शिव
शिव आनंद और ज्ञान स्वरूप है।
सृष्टी केवल शक्ति नही है।
शक्ति ज्ञान का व्यक्त रुप
है
जो अव्यक्त
से
धर्म से प्रकट होती है।
यही शिव शक्ति का नृत्य है।
दोनो का लास्य
पुरुष और प्रकृति कि अभिव्यक्ति है…
1 comment:
उन्मुक्त
said...
अच्छा दर्शन है। हिन्दी में और लिखीये।
9 October 2007 at 07:02
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1 comment:
अच्छा दर्शन है। हिन्दी में और लिखीये।
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