ज्ञान पिपासा
गहरा ज्ञान प्राप्त करने के लिए तैयारी चाहिए. कच्चे घड़े में पानी डालोगे तो वह गल जाएगा, उसको आग में तपाना पड़ता है.
घड़ा मज़बूत होने पर ही वह पानी पकडता है. वैसे ही ज्ञान को अपने अन्दर समेटने के लिए साधना करनी पडेगी, तपस्या करनी पडेगी.
ज्ञान को धारण करने की क्षमता ध्यान, साधना, सेवा, चिन्तन, और संतों की संगत में रह कर बढती है…
तुम जिस वस्तु से बहुत प्यार करते हो, उसे बहुत संभाल कर रखते हो- है ना? जैसे भगवद गीता को लोग रेशम के कपडे में लपेट कर इज़्ज़त से रखते हैं. लेकिन उपन्यास या अखबार को ऐसे ही रख देते हैं. इन्हें तो लोग बाथरूम में भी ले जाते हैं!
साधना की और ज्ञान कि बहुत इज़्ज़त करनी चाहिए. अगर तुम ज्ञान की इज़्ज़त नहीं करोगे, ज्ञान तुम्हारी इज़्ज़त नहीं करेगा.
अपने भीतर ज्ञान पिपासा जगाओ. तब जाकर गहराई में उतर पाओगे.
फिर तो ऐसा होगा कि एक छोटी सी बात भी तुम्हारी अंतरात्मा को छू जाएगी.
कोई तुम्हारे सामने कुछ भी कह देगा और उसमे से ज्ञान प्रकट हो जाएगा…
साधारण बातों से तुम्हे गहरे ज्ञान का बोध हो जाएगा…
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